शनिवार, 11 अक्टूबर 2025

सूतांजली अक्तूबर (द्वितीय) 2025

 


अनेक लोग यह मानते हैं कि अहिंसा कमजोरों का हथियार है। यह मान्यता उनकी भ्रांतियों पर आधारित है। उन्हें अपने बल पर बहुत भरोसा होता है, घमंड की हद तक। लेकिन अगर भीम के सामने दुर्योधन खड़ा हो, अर्जुन के सामने कर्ण खड़ा हो तब उनका भरोसा डिग जाता है। भीम या अर्जुन की विजय उनके बल के कारण नहीं बल्कि कृष्ण के कारण हुई थी। कृष्ण के रूप में उन्होंने सत्य और धर्म को अपनाया था। यही नहीं, इंद्र द्वारा कर्ण को प्रदत्त अमोघ शक्ति से अर्जुन को बचाने का श्रेय भी कृष्ण को ही जाता है। कृष्ण के कारण ही कर्ण को अमोघ शक्ति का प्रयोग घटोत्कच पर करना पड़ा। बर्बरीक, जिसे कलयुग में श्याम बाबा के नाम से पूजा जाता है, को कौरवों के पक्ष में जाने से रोकने का श्रेय भी कृष्ण को ही जाता है।

          शारीरिक बल के बावजूद अगर आप में अटकल नहीं है, आप दाव-पेंच नहीं जानते, लाठी भांजने का अभ्यास नहीं है, तलवार-भाला चलाने में समर्थ नहीं हैं, व्यूह रचना नहीं आती  तो आपका बल काम का नहीं। निशाना ठीक नहीं है तो पिस्टल, बंदूक मशीनगन क्या काम करेगा? टैंक, मिसाइल, ड्रोन, जेट चलाने में निपुण नहीं हैं तब आपका हथियार आपकी रक्षा नहीं कर सकेगा। अहिंसा भी ऐसा ही एक हथियार है, जिसका प्रयोग करना आपको आना चाहिए, अन्यथा आप जीत नहीं सकते। अहिंसा के साथ, सत्य और धर्म आपके पक्ष में होना चाहिए।

           सत्याग्रह व्यक्ति के भीतर सद्वृत्ति के निर्माण का भी औज़ार। इस हथियार से दुश्मन का नहीं, दुश्मनी का नाश होता है। गांधी ने इसके परिणाम देखे थे अतः उन्होंने इस हथियार का प्रयोग बहुतायत से और सफलता पूर्वक किया।

          दक्षिण अफ्रीका में ट्रेन से बाहर फेंके जाने के बाद, बघ्घी के कोचवान ने भी बघ्घी में बैठने देने से इंकार करने और चाबुक से मारने पर गोरों द्वारा गांधीजी का पक्ष लेते हुए देख गांधीजी ने यह निष्कर्ष निकाला कि जहां वेदना है, वहां संवेदना हैयदि वेदना के साथ सत्य और अहिंसा जुड़ जाती है तो संवेदना ज्यादा प्रबल होगी  जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में डॉ सिंह ने नगर के निवासियों में सफलता पूर्वक इस संवेदना को जागृत किया और उन्हें जनता का भरपूर सहयोग मिला।

          प्रशासन ने कर्मचारियों में व्याप्त बुराइयों को दूर करने का वातावरण बनायाप्रायश्चित के 5 नियमों ने कर्मचारियों में व्यापक परिवर्तन लायाकई ने उसी दिन जो गुटका, बीड़ी, शराब छोड़ी तो दुबारा शुरू नहीं की। डॉ.सिंह कहते हैं, “मुझे अत्यंत हर्ष है कि मैं अपनी सेवानिवृत्ति से पहले ठेका कर्मचारियों का वेतन बढ़वाने में भी सफल रहा

          सत्याग्रह ने फिर एक बार अपने प्रभाव को सिद्ध किया।  सत्याग्रह के ऐसे परिणाम सामने आते ही रहते हैं बस चर्चा नहीं होती।

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